राजधानी भोपाल के मुख्य रेलवे स्टेशन पर यात्रियों के लिए गर्मी में राहत की बजाय परेशानी और बढ़ गई है। जहां पहले ठंडा और शुद्ध आरओ पानी सस्ते दामों में उपलब्ध होता था, वहीं अब यात्रियों को पानी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। स्टेशन पर लगी 12 वॉटर वेंडिंग मशीनें बीते छह महीने से बंद पड़ी हैं, जिससे हजारों यात्री प्रभावित हो रहे हैं।
42 डिग्री तक पहुंचा तापमान, स्टेशन पर प्यासा सफर
भोपाल में गर्मी अपने चरम पर है। अप्रैल महीने में ही तापमान 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है। ऐसे में रेलवे स्टेशन पर जहां हर रोज़ हजारों यात्री पहुंचते हैं, वहां पानी की व्यवस्था न होना सीधे तौर पर स्वास्थ्य और सुविधा से खिलवाड़ है।
भोपाल स्टेशन का ट्रैफिक और जल संकट
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200+ ट्रेनें हर दिन संचालित होती हैं
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40,000 से 50,000 यात्रियों का रोज़ आना-जाना
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6 प्लेटफॉर्म्स, लेकिन अब बिना वॉटर मशीन के
सस्ता और शुद्ध पानी अब नहीं मिल रहा
जब वॉटर वेंडिंग मशीनें चालू थीं, तब यात्रियों को ₹2 से ₹20 तक में ठंडा और शुद्ध आरओ पानी मिल जाता था। ये थे पुराने रेट:
मात्रा | कीमत |
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300 एमएल | ₹2 |
500 एमएल | ₹5 |
1 लीटर | ₹5 |
2 लीटर | ₹8 |
5 लीटर | ₹20 |
अब यात्रियों को या तो बाहर से बोतलबंद पानी खरीदना पड़ता है, या स्टेशन परिसर में लगे प्याऊ से भीड़ में पानी लेना पड़ता है।
क्यों बंद हुई मशीनें?
स्टेशन पर वॉटर मशीनों का संचालन करने वाले पुराने ऑपरेटर का कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो चुका है। इसके बाद रेलवे ने नई निविदा प्रक्रिया शुरू की, जो अब अंतिम चरण में है।
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही स्टेशन पर यह सुविधा फिर से शुरू हो जाएगी, लेकिन कब तक, इसका स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया है।
यात्रियों की शिकायतें
यात्रियों का कहना है कि—
“भीषण गर्मी में स्टेशन पर पानी के लिए लंबी लाइन लगानी पड़ती है, और बोतलबंद पानी सबके बस की बात नहीं। स्टेशन पर तो कम से कम मूलभूत सुविधाएं होनी ही चाहिए।” — यात्री राजेश कुमार
समाधान की उम्मीद, लेकिन कब?
रेलवे द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार:
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नई एजेंसी के लिए टेंडर प्रक्रिया अंतिम चरण में है
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जल्द शुरू हो सकता है वॉटर वेंडिंग सिस्टम
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मशीनें दोबारा चालू होने पर फिर मिलेगी राहत
भोपाल जैसे प्रमुख स्टेशन पर वॉटर वेंडिंग मशीनों का बंद होना यात्रियों के लिए गंभीर परेशानी का कारण है। गर्मी के इस मौसम में पानी एक मूलभूत जरूरत है, जिसे नजरअंदाज करना किसी भी सूरत में ठीक नहीं। रेलवे को प्राथमिकता के आधार पर इस सुविधा को जल्द बहाल करना चाहिए।