भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव अब जल युद्ध (Water War) के रूप में भी देखने को मिल रहा है। भारत ने जम्मू-कश्मीर की चिनाब नदी पर बने सलाल डैम और बगलिहार डैम के गेट खोल दिए हैं, जिससे पाकिस्तान के निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा गंभीर रूप ले सकता है।
सिंधु जल संधि रद्द, अब भारत के पास पूर्ण नियंत्रण
भारत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि सिंधु जल संधि को निलंबित किया जा चुका है, और अब पानी छोड़ने या रोकने का निर्णय पूरी तरह भारत के अधिकार क्षेत्र में आता है। सलाल डैम के तीन गेट खोलने का निर्णय भी इसी दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
चिनाब का पानी अब पाकिस्तान की ओर, बाढ़ की स्थिति बन सकती है
भारत द्वारा सलाल और बगलिहार डैम के गेट खोलने के बाद चिनाब नदी का अतिरिक्त पानी पाकिस्तान में प्रवेश करेगा। इससे पाक अधिकृत कश्मीर (POK) और पंजाब जैसे इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। पहले यह पानी रोका जा रहा था, लेकिन अब भारी बारिश और रणनीतिक निर्णय के चलते पानी छोड़ा जा रहा है।
पाकिस्तान में बढ़ी चिंता, बाढ़ से तबाही की आशंका
पाकिस्तान के मौसम विभाग ने कई इलाकों में बाढ़ की चेतावनी जारी की है। यदि भारी मात्रा में पानी एक साथ पहुंचता है, तो निचले इलाकों में डूब की स्थिति बन सकती है। इससे आम जनता प्रभावित होगी और सरकार पर दबाव बढ़ेगा। यह भी संभव है कि पाकिस्तान में लोग अपनी सरकार से यह सवाल पूछें कि बाढ़ से निपटने की तैयारी क्यों नहीं की गई।
भारत की रणनीति: दबाव बनाने की ‘सॉफ्ट पावर’
सलाल और बगलिहार डैम का पानी छोड़ने को कई विशेषज्ञ भारत की एक ‘सॉफ्ट वॉर स्ट्रेटजी’ के रूप में देख रहे हैं। भारत यह दिखाना चाहता है कि जल जैसे प्राकृतिक संसाधनों पर उसका नियंत्रण है और वह अपनी रणनीति के तहत इसका इस्तेमाल कर सकता है।
21 करोड़ लोग निर्भर, क्षेत्रीय तनाव का असर
गौरतलब है कि सिंधु और उसकी सहायक नदियां चार देशों – भारत, पाकिस्तान, चीन और अफगानिस्तान – से होकर गुजरती हैं। करीब 21 करोड़ लोग इन नदियों पर निर्भर हैं, और ऐसे में इस तरह की रणनीतिक कार्रवाइयों का क्षेत्रीय प्रभाव गहरा हो सकता है।