इंदौर में एक महिला टीचर को साइबर ठगों ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर 36 घंटे तक मानसिक रूप से बंधक बनाए रखा और उनसे 1 करोड़ रुपये की ठगी का प्रयास किया। यह मामला तुकोगंज क्षेत्र का है, जहां 27 मई को एक महिला ने खुद को TRAI अधिकारी बताकर महिला टीचर से संपर्क किया। उसने महिला को बताया कि उनकी सिम कार्ड बंद की जाएगी और बाद में सीबीआई अधिकारी से बात कराने की बात कही।
ठगों ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताकर महिला को डराया
ठगों ने महिला को वीडियो कॉल करके खुद को सीबीआई अधिकारी बताकर कहा कि उनके बैंक खाते का उपयोग मनी लॉन्ड्रिंग और ड्रग तस्करी में किया गया है। उन्होंने महिला को धमकी दी कि यदि वह पैसे नहीं ट्रांसफर करती हैं, तो उनके और उनके परिवार की जान को खतरा हो सकता है। इस डर से महिला ने अपने परिवार से भी संपर्क नहीं किया और कमरे में बंद होकर ठगों की बात मानी।
बैंक अधिकारी की सूझबूझ से महिला की जान बची
महिला ने एसबीआई बैंक में अपनी एफडी तुड़वाने के लिए संपर्क किया। बैंक अधिकारी गीतांजलि गुप्ता ने अचानक इतनी बड़ी रकम ट्रांसफर करने की बात पर संदेह जताया और सर्वर डाउन होने की बात कहकर महिला को टाल दिया। इसके बाद उन्होंने मामले की जानकारी एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया को दी।
पुलिस ने महिला से संपर्क किया और उन्हें बताया कि ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसी कोई चीज नहीं होती। महिला के मोबाइल को दो दिन के लिए स्विच ऑफ करवा दिया गया और रविवार को एडिशनल डीसीपी ने खुद महिला के घर जाकर उन्हें समझाया। इसके बाद महिला ने मामले की एफआईआर दर्ज करवाई।
पुलिस ने ठगों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की
क्राइम ब्रांच की साइबर टीम अब उन नंबरों की जानकारी निकाल रही है, जिनसे महिला को कॉल आए थे। पुलिस ने इस मामले में ठगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही है।
‘डिजिटल अरेस्ट’ ठगी से बचने के उपाय
-
किसी भी अनजान कॉल या वीडियो कॉल का जवाब देने से पहले उसकी सत्यता की जांच करें।
-
किसी भी संदिग्ध कॉल में मांगी गई व्यक्तिगत जानकारी जैसे OTP, बैंक खाता विवरण आदि साझा न करें।
-
किसी भी मामले में डरने की बजाय नजदीकी पुलिस स्टेशन या साइबर क्राइम सेल से संपर्क करें।
यह मामला इस बात का उदाहरण है कि साइबर ठग किस तरह से लोगों को मानसिक दबाव में डालकर ठगी करते हैं। पुलिस की सूझबूझ और त्वरित कार्रवाई से महिला की जान बचाई जा सकी। सभी को इस तरह की ठगी से बचने के लिए सतर्क रहने की