भोपाल के बाणगंगा चौराहे पर स्कूल बस हादसे के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने पुलिस और परिवहन विभाग को निर्देश दिए हैं कि वे आज से बिना फिटनेस प्रमाणपत्र वाले वाहनों के खिलाफ संयुक्त कार्रवाई करें। इस हादसे में डॉक्टर आयशा खान की मौत हो गई थी, और बस का ब्रेक फेल होने से यह दुर्घटना हुई थी।
हादसे का विवरण
सोमवार को बाणगंगा चौराहे पर एक स्कूल बस ने ट्रैफिक सिग्नल पर खड़ी गाड़ियों को पीछे से टक्कर मारी। इसमें डॉक्टर आयशा खान की मौत हो गई, जबकि अन्य पांच लोग घायल हो गए। चश्मदीदों के अनुसार, बस का ब्रेक फेल हो गया था, जिससे यह हादसा हुआ।
सीएम का सख्त रुख
सीएम मोहन यादव ने डीजीपी कैलाश मकवाना और परिवहन अधिकारियों से कहा है कि वे स्कूल बसों की फिटनेस, परमिट और रजिस्ट्रेशन की जांच करें। उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और दोषी वाहन चालकों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
आरटीओ निलंबन और एफआईआर
प्रारंभिक जांच में सामने आया कि हादसे वाली बस का फिटनेस प्रमाणपत्र पांच महीने पहले समाप्त हो चुका था। भोपाल संभागायुक्त संजीव सिंह ने आरटीओ जितेंद्र शर्मा को निलंबित कर दिया है। इसके अलावा, बस मालिक और चालक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
विशेष जांच अभियान
सीएम के निर्देश पर पुलिस और परिवहन विभाग ने आज से अनफिट वाहनों के खिलाफ विशेष जांच अभियान शुरू किया है। इसमें स्कूल बसों की फिटनेस, परमिट और रजिस्ट्रेशन की जांच की जाएगी।
न्यायालय के दिशा-निर्देश
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने स्कूल बसों की सुरक्षा के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इनमें बसों का पीला रंग, “School Bus” या “On School Duty” का स्पष्ट उल्लेख, ग्रिल्स, फर्स्ट ऐड किट, फायर एक्सटिंग्विशर और स्पीड गवर्नर की अनिवार्यता शामिल है। इसके अलावा, बसों की उम्र 12 साल से अधिक नहीं होनी चाहिए और ड्राइवरों के पास पांच साल का अनुभव और साफ-सुथरी रिकॉर्ड होना चाहिए।
इस हादसे ने स्कूल बसों की सुरक्षा मानकों की आवश्यकता को उजागर किया है। सरकार और न्यायालय के दिशा-निर्देशों का पालन करके भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है।