सागर जिले के बंडा स्थित शासकीय राजीव गांधी कॉलेज में छात्रवृत्ति के नाम पर बड़ा घोटाला सामने आया है। कॉलेज के तीन पूर्व प्राचार्य और एक कंप्यूटर ऑपरेटर ने मिलकर गांव की बेटियों को मिलने वाली ₹5000 की सालाना स्कॉलरशिप को हड़पने के लिए ₹76.25 लाख का घपला किया। यह घोटाला 2019 से 2023 के बीच हुआ।
घोटाले का खुलासा कैसे हुआ?
सरकार की योजना के तहत, 60% अंक लाकर 12वीं पास करने वाली गांव की लड़कियों को कॉलेज में एडमिशन लेने पर हर साल ₹5000 की स्कॉलरशिप मिलती है। यह रकम सीधे छात्रा के बैंक अकाउंट में जाती है। लेकिन कॉलेज के तीन प्राचार्य डॉ. एचजी सेन, डॉ. एसएच गणवीर, और डॉ. बीडी अहिरवार ने कंप्यूटर ऑपरेटर नीलेश खरे के साथ मिलकर इस योजना में भारी गड़बड़ी की।
फर्जी खातों में ट्रांसफर की गई राशि
गांव की बेटी स्कॉलरशिप योजना में 1500 छात्राओं ने आवेदन किया था, लेकिन 2061 को भुगतान दिखाया गया। 561 अपात्र लड़कियों के नाम जोड़कर ₹28.5 लाख रुपये फर्जी खातों में डाले गए। 964 पात्र छात्राओं को आज तक स्कॉलरशिप नहीं मिली। 2019, 2020 और 2021 में 364, 327 और 273 छात्राओं को क्रमशः ₹18.20 लाख, ₹16.35 लाख और ₹13.65 लाख रुपये नहीं दिए गए।
एक ही दिन में कई बार ट्रांसफर
नीलेश खरे, उसके पिता, दादा और कुल मिलाकर 27 लोगों के बैंक खातों में स्कॉलरशिप की राशि ट्रांसफर की गई। कई खातों में एक ही दिन में कई बार ₹5000 की राशि जमा की गई, जबकि नियम के अनुसार एक छात्रा को एक साल में सिर्फ एक बार ₹5000 मिलते हैं।
कुछ उदाहरण
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उज्मा कुरैशी ने 2018 में कॉलेज में एडमिशन लिया, लेकिन उसे 2021 तक एक भी स्कॉलरशिप नहीं मिली। 2023 में उसके खाते में एक बार ₹5000 रुपये जमा हुए। लेकिन सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार उसके नाम पर ₹55,000 रुपये ट्रांसफर दिखाए गए, वो भी जिस खाते में ट्रांसफर हुए वह नीलेश खरे के नाम का है।
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ज्योति सेन के नाम पर एक ही दिन में 9 बार ₹5000 करके ₹45,000 रुपये ट्रांसफर किए गए। अभिलाषा अहिरवार के नाम पर 26 बार ₹5000 करके ₹1.30 लाख रुपये जमा किए गए। दोनों ट्रांजैक्शन भी नीलेश खरे के खाते में ही हुए।
जिम्मेदारों के बयान
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वर्ष 2015–20 तक प्राचार्य रहे डॉ. एचजी सेन ने कहा कि कोरोना काल में देरी हुई थी, बाद में स्कॉलरशिप दी गई।
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वर्ष 2020–21 तक प्राचार्य रहे डॉ. एसएच गणवीर ने कहा कि अपात्रों के नाम नहीं जांचे, पात्रों की राशि खातों में नहीं डलवाई।
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वर्ष 2021 से अब तक प्राचार्य डॉ. बीडी अहिरवार ने कहा अगर कोई पात्र है तो स्कॉलरशिप दिला देंगे। जिन्हें स्कॉलरशिप नहीं मिली, वे आवेदन करें।
अधिकारियों की प्रतिक्रिया
उच्च शिक्षा विभाग की अधिकारी का कहना है कि उन्हें इस घोटाले की जानकारी नहीं है। जबकि कलेक्टर ऑफिस से 9 अप्रैल को ही इस मामले की शिकायत भेजी जा चुकी है। यानी अब तक मामले को दबाने की कोशिश हो रही है।
कार्रवाई की दिशा
इस मामले में जांच जारी है और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। आशा है कि दोषियों को जल्द ही सजा मिलेगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं होगी।