मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में बुधवार को एक ऐतिहासिक घटना घटी। यहां पहली बार ब्रेन डेड मरीज से अंगदान किया गया, जिससे तीन लोगों को नया जीवन मिला। ओबेदुल्लागंज के 60 वर्षीय शंकर लाल कुबरे ने अपनी मृत्यु के बाद हार्ट और दो किडनी दान की, जिससे प्रदेश में अंगदान की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हुआ।
31 असफल प्रयासों के बाद मिली सफलता
AIIMS भोपाल में पिछले एक साल से ब्रेन डेड मरीजों से अंगदान की प्रक्रिया चल रही थी, लेकिन अब तक 31 प्रयास असफल रहे थे। शंकर लाल कुबरे का परिवार 32वां प्रयास था, जो सफल रहा। परिवार ने इंसानियत को सर्वोपरि मानते हुए अंगदान का निर्णय लिया, जो दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना।
सड़क हादसे में ब्रेन डेड घोषित
24 मई को ओबेदुल्लागंज के शंकर लाल कुबरे एक सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उन्हें AIIMS भोपाल में भर्ती किया गया, जहां सोमवार देर रात उन्हें ब्रेन डेड घोषित किया गया। परिवार ने इस कठिन घड़ी में भी अंगदान का निर्णय लिया, जिससे तीन लोगों को नया जीवन मिला।
AIIMS में हार्ट और किडनी ट्रांसप्लांट की सफलता
शंकर लाल कुबरे के अंगदान से एक हार्ट और दो किडनी प्राप्त हुईं। इनमें से एक हार्ट और एक किडनी AIIMS भोपाल में ही जरूरतमंद मरीजों को दी गई, जबकि एक किडनी बंसल अस्पताल के मरीज को दी गई। यह AIIMS भोपाल में दूसरा हार्ट ट्रांसप्लांट और 11वां किडनी ट्रांसप्लांट था।
बच्चों के लिए भी उम्मीद की किरण
AIIMS भोपाल में बच्चों के लिए ‘पीडियाट्रिक किडनी ट्रांसप्लांट’ की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। एक बच्चे की ट्रांसप्लांट प्रक्रिया पर काम चल रहा है, जो भविष्य में अन्य बच्चों के लिए भी उम्मीद की किरण साबित होगा।
मध्य प्रदेश में अंगदान की स्थिति
नेशनल ऑर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (NOTTO) की 2023 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, देशभर में कुल 1,099 कैडेवर डोनेशन हुए थे। इसमें से मध्य प्रदेश में यह संख्या मात्र 8 रही। AIIMS भोपाल की यह सफलता प्रदेश में अंगदान के प्रति जागरूकता बढ़ाने और लोगों को इस नेक कार्य के लिए प्रेरित करने में मील का पत्थर साबित होगी।
अंगदान को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार की पहल
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने घोषणा की है कि अंगदान करने वालों को राजकीय सम्मान दिया जाएगा। इसके तहत, मृतक के परिवार की सहमति से उनके पार्थिव शरीर को उचित चिकित्सा संस्थानों तक पहुंचाया जाएगा और अंतिम संस्कार के समय राजकीय सम्मान दिया जाएगा। इससे अंगदान की प्रक्रिया को और भी प्रोत्साहन मिलेगा।
AIIMS भोपाल में शंकर लाल कुबरे के अंगदान ने न केवल तीन लोगों को नया जीवन दिया, बल्कि प्रदेश में अंगदान के प्रति जागरूकता और प्रेरणा का एक नया अध्याय शुरू किया है। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि एक व्यक्ति की छोटी सी मदद से कई जिंदगियां रोशन हो सकती हैं।