मध्यप्रदेश में अब खेतों में नरवाई जलाने वाले किसानों को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। नरवाई जलाने वाले किसानों को पीएम किसान निधि के 6 हजार रुपये नहीं दिए जाएंगे। इसके साथ ही सरकार MSP पर ऐसे किसानों की फसल नहीं खरीदेगी। गुरुवार को राजस्व विभाग की समीक्षा बैठक में सीएम मोहन यादव ने ये बड़ा फैसला लिया है। 1 मई से ये फैसला पूरे मध्यप्रदेश में लागू होगा।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश कृषि आधारित राज्य है। फसल कटाई के बाद खेतों में नरवाई जलाने के मामलों में बढ़ोतरी होने से वायु प्रदूषण सहित कई प्रकार से पर्यावरण को बहुत नुकसान हो रहा है। खेत में आग लगाने से जमीन में उपलब्ध पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं और जमीन की उर्वरक क्षमता में भी गिरावट आती है। राज्य सरकार पहले ही नरवाई जलाने पर प्रतिबंध लगा चुकी है। पर्यावरण, मृदा संरक्षण और जमीन की उत्पादकता बनाए रखने के मद्देनजर राज्य सरकार अब यह निर्णय ले रही है, जो 1 मई से लागू होगा।
किसानों पर जुर्माना, FIR भी होगी
मध्यप्रदेश सरकार पराली जलाने को लेकर बेहद सख्त रुख अपना रही है। भोपाल में इस सीजन में एक साथ 4 किसानों पर 37 हजार 500 रुपये का जुर्माना लगाया गया है। उनके खिलाफ FIR भी दर्ज की गई है।
बैठक में सीएम मोहन के निर्देश
सीएम मोहन ने राजस्व विभाग की बैठक में कहा कि सरकारी जमीनों, कुएं-बावड़ी, तालाबों और गांवों में सार्वजनिक रास्तों पर अतिक्रमण हटाने के लिए सख्ती से विशेष अभियान चलाएं। जल गंगा संवर्धन अभियान में सभी जल संग्रहण स्रोतों के संरक्षण और संवर्धन के लिए राजस्व अधिकारी अपनी भूमिका निभाएं। सीएम मोहन ने कहा कि जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत सभी अमृत सरोवर, तालाब, बांध, नहर और अन्य जल संरचनाओं को राजस्व रिकॉर्ड में जरूर दर्ज करें और नहर, कुएं और बावड़ी जैसी जल संरचनाओं को पूरी तरह अतिक्रमण मुक्त करें।
‘नामांतरण बंटवारे के काम समय सीमा में निपटाएं’
राजस्व विभाग की बैठक में बताया गया कि साइबर तहसील 3.0 में भी 26 जनवरी 2025 तक नामांतरण, बंटवारा, अभिलेख दुरुस्ती, नक्शा, तरमीम और सीमांकन के 7 लाख प्रकरण दर्ज हुए हैं। पहले 2 चरणों में 80 लाख से ज्यादा मामलों का निपटारा किया गया है। सीएम मोहन ने कहा कि नामांतरण, बंटवारा, अभिलेख दुरुस्ती, नक्शा संशोधन जैसे राजस्व संबंधी कामों की पेंडेंसी जल्द ही खत्म करें।