मध्यप्रदेश सरकार ने राज्य में दुग्ध उत्पादन को दोगुना से अधिक बढ़ाने का संकल्प लिया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोमवार को सीएम हाउस में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) और मध्यप्रदेश राज्य सहकारी दुग्ध संघ के बीच हुए अनुबंध की प्रगति की समीक्षा की। बैठक में मुख्य सचिव अनुराग जैन समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
राज्य में बनेंगी बड़ी गोशालाएं
मुख्यमंत्री ने बैठक में बताया कि प्रदेश में बड़ी गोशालाएं विकसित की जा रही हैं, जिनका सही प्रबंधन दूध उत्पादन बढ़ाने में सहायक होगा। उन्होंने निजी विश्वविद्यालयों को डेयरी टेक्नोलॉजी और पशुपालन से जुड़े कोर्स संचालित करने के निर्देश भी दिए।
मुख्यमंत्री मोहन यादव के निर्देश
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निम्नलिखित दिशा-निर्देश दिए:
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बेहतर नस्ल की गाय और भैंसों को लाकर किसानों को उपलब्ध कराया जाए।
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अन्य राज्यों के सफल डेयरी मॉडल का अध्ययन कर प्रदेश में लागू किया जाए।
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एनडीडीबी के विशेषज्ञों की जानकारी का लाभ हर दुग्ध उत्पादक तक पहुंचे।
सरकार का उद्देश्य है कि देश के कुल दुग्ध उत्पादन में मध्यप्रदेश की भागीदारी को वर्तमान 9% से बढ़ाकर 20% तक पहुँचाया जाए।
रणनीति क्या है?
प्रदेश सरकार ने दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए एक बहु-आयामी रणनीति तैयार की है, जिसमें निम्नलिखित बिंदु शामिल हैं:
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सहकारी दुग्ध संघों को सशक्त किया जाएगा।
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डेयरी किसानों को तकनीकी प्रशिक्षण और सहायता दी जाएगी।
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दुग्ध संग्रह और प्रोसेसिंग के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं विकसित की जाएंगी।
किसानों को मिलेगा दूध के बढ़े दाम का लाभ
एनडीडीबी के अंतर्गत राज्य सहकारी दुग्ध संघ ने 1 मई से दूध के फैट की कीमतों में वृद्धि की है, जिससे किसानों को प्रत्यक्ष लाभ मिल सकेगा। यह निर्णय 11 अप्रैल को केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में हुए एमओयू के तहत लिया गया, जिसमें दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाने की सहमति बनी थी।
प्रदेश सरकार की यह पहल न सिर्फ दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था और गोपालकों की आय में भी उल्लेखनीय वृद्धि करेगी। रणनीतिक सहयोग और तकनीकी प्रगति के साथ मध्यप्रदेश डेयरी क्षेत्र में नया कीर्तिमान स्थापित करने की दिशा में अग्रसर है।