मध्यप्रदेश सरकार ने सरकारी अधिकारियों के लिए नई वाहन नीति लागू की है, जिसका उद्देश्य सरकारी खर्चों में कटौती और प्रशासनिक सादगी को बढ़ावा देना है। अब उच्च अधिकारियों को महंगी लग्जरी गाड़ियों के स्थान पर सीमित बजट की गाड़ियों का उपयोग करना होगा।
नई गाड़ी गाइडलाइंस: क्या हैं अहम बदलाव?
राज्य सरकार द्वारा जारी नई गाइडलाइंस के अनुसार, अब अधिकारी 18 लाख रुपये से कम कीमत वाली गाड़ियों का ही उपयोग कर सकेंगे। पहले कई अधिकारी 20 से 35 लाख रुपये तक की महंगी गाड़ियों का उपयोग करते थे, लेकिन अब इस पर सख्ती से रोक लगाई गई है।
ग्रेड के आधार पर तय हुई वाहन की सीमा
नई नीति के अनुसार विभिन्न ग्रेड के अधिकारियों के लिए गाड़ियों की कीमत की सीमा तय की गई है:
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कलेक्टर और एसपी: अधिकतम ₹10 लाख तक की कार
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कमिश्नर: अधिकतम ₹12 लाख तक की कार
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सचिव, PS, ACS और CS: अधिकतम ₹18 लाख तक की कार
इस नीति से अब वरिष्ठ अधिकारियों को भी अपनी वाहन पसंद को नियमों के अनुसार सीमित करना होगा।
पेट्रोल, डीजल और CNG वाहन ही मान्य
नई गाइडलाइंस के तहत अब अधिकारी केवल पेट्रोल, डीजल और CNG से चलने वाले वाहनों का ही उपयोग करेंगे। यह निर्णय पर्यावरण संरक्षण और कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के उद्देश्य से लिया गया है।
क्लास 2 और 3 अधिकारियों के लिए एक जैसी गाड़ियां
सरकार ने समानता को बढ़ावा देने के लिए क्लास 2 और 3 ग्रेड के अधिकारियों के लिए एक जैसी श्रेणी की गाड़ियों का प्रावधान किया है। इससे सभी को एक समान सुविधा मिल सकेगी और सरकारी संसाधनों का संतुलित उपयोग सुनिश्चित होगा।
पुराने वाहनों को बदलने के लिए भी दिशा-निर्देश तय
जो अधिकारी पुराने वाहनों को बदलना चाहते हैं, उन्हें अब तय गाइडलाइंस के तहत ही नई गाड़ी लेने की अनुमति मिलेगी। इससे अनावश्यक और बार-बार वाहन परिवर्तन पर भी रोक लगेगी।
नीति का उद्देश्य: खर्च नियंत्रण और सादगी
इस नीति का प्रमुख उद्देश्य है—सरकारी व्यय पर नियंत्रण, अफसरों की सुविधाओं में संतुलन और पर्यावरण के प्रति ज़िम्मेदारी बढ़ाना। सरकार का मानना है कि यह कदम प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही को भी मज़बूत करेगा।