मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र सरकारों के बीच ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना पर हाल ही में हस्ताक्षर किए गए हैं, जिसे विश्व की सबसे बड़ी भूजल रिचार्ज योजना माना जा रहा है। यह परियोजना दोनों राज्यों के बीच जल सुरक्षा, सिंचाई और पेयजल आपूर्ति में सुधार लाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
जल उपयोग और सिंचाई क्षेत्र
इस परियोजना के तहत कुल 31.13 टीएमसी जल का उपयोग किया जाएगा, जिसमें से 11.76 टीएमसी मध्यप्रदेश और 19.36 टीएमसी महाराष्ट्र को आवंटित किया गया है। मध्यप्रदेश में बुरहानपुर और खंडवा जिलों की चार तहसीलें—बुरहानपुर, नेपानगर, खाकनार और खालवा—लाभान्वित होंगी, जहां 1,23,082 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी।
परियोजना संरचना और जलाशय
परियोजना में खरिया गुटीघाट डेम साइट पर 8.31 टीएमसी क्षमता वाला लो डाइवर्जन वेयर, 221 किमी लंबा राइट बैंक नहर (पहला चरण), 135.64 किमी लंबा लेफ्ट बैंक नहर (पहला चरण) और 123.97 किमी लंबा लेफ्ट बैंक नहर (दूसरा चरण) शामिल हैं। इन संरचनाओं से दोनों राज्यों में जल आपूर्ति और सिंचाई क्षमता में वृद्धि होगी।
केंद्र सरकार से सहयोग की अपेक्षाएं
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस परियोजना को राष्ट्रीय जल परियोजना घोषित कराने के लिए केंद्र सरकार से सहयोग की अपेक्षा जताई है। उन्होंने कहा कि जैसे केंद्र सरकार ने केन-बेतवा और पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजनाओं में मदद की, उसी तरह इस परियोजना को भी केंद्र से सहयोग मिलेगा।
ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के बीच जल संसाधनों के साझा उपयोग और प्रबंधन की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। यह परियोजना न केवल दोनों राज्यों के किसानों और नागरिकों के लिए जल सुरक्षा सुनिश्चित करेगी, बल्कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने में भी सहायक सिद्ध होगी।